इश्क बेघर है
कैसे हालात है, कैसा मंजर है,
हममे दिवार है और इश्क बेघर है.
वो बहोत देर से चुप है, बात गहरी होगी,
हम जानते है ख़ामोशी समंदर है.
हममे दिवार है और इश्क बेघर है.
मेरी रुखसत पे खामोश था वो कल,लेकिन,
आज रोया है बहोत, हालत अब कुछ बेहतर है.
हममे दिवार है और इश्क बेघर है.
जो खोने का डर था वो तो लुट गया,
अब क्यों सहमे है, अब क्या डर है.
हममे दिवार है और इश्क बेघर है.
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