Friday, 12 January 2024

संभल गए।

हम कहते कहते संभल गए।
कयी हादसे यू ही टल गए।

खामोशी का असर था यूं,
की लफ्ज़ सारे जल गए।
कयी हादसे यू ही टल गए।

उम्मीद होती तो टूटती,
ये ख्वाब थे तो पल गए।
कयी हादसे यू ही टल गए।

अब दीयों का दौर है,
सूरज थे जो वो ढल गए।
कयी हादसे यू ही टल गए।

हम रूह थे तो वही रहे,
वो जिस्म थे तो बदल गए।
कयी हादसे यू ही टल गए।

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