कमरे की जो चीज़े है,जो रख रखाव है।
ये बेजान है सभी पर मुझको लगाव है।
बिखरी है चार सु, बेतरतीब सी पड़ी है,
मुझसे जुडी हर चीज़ में मेरा स्वभाव है।
ये बेजान है सभी पर मुझको लगाव है।
मैं बोलता वही हु, जो भी वो चाहता है,
है अहतराम उसका या फिर दबाव है?
ये बेजान है सभी पर मुझको लगाव है।
किस्से कहानियां है दोस्ती में जान देना,
अब देने को दोस्ती में केवल सुझाव है।
ये बेजान है सभी पर मुझको लगाव है।
ये रुतबा, ये पैसा, ये शोहरत, ये ताक़त,
मंज़िल ए मौत तक के ये सब पड़ाव है।
ये बेजान है सभी पर मुझको लगाव है।
ये तंज़ मोहब्बत का कैसे किसे बताये,
आँखों में है समंदर, रुख पे अलाव है।
ये बेजान है सभी पर मुझको लगाव है।
रिश्तो की सरहदों का नियम कोई टूटा है,
दोनों ही सिम्त देखो कितना तनाव है।
ये बेजान है सभी पर मुझको लगाव है।
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