ग़मगीन रख, मुश्किल बना बेकरार कर,
नाउम्मीद न मुझे बस परवरदिगार कर।
मेरा ही मुझसे छिनकर, क्या हुआ हासिल,
मै तुझसे बड़ा लगने लगा तुझिसे हारकर।
नाउम्मीद न मुझे बस परवरदिगार कर.
मुझे आजमाने में कही ऐसा ना हो खुदा,
तुझे मंदिर में फिरसेें रखदु दिल से उतार कर।
नाउम्मीद न मुझे बस परवरदिगार कर।
इश्क जो नहीं तो क्यों जुडा नफ़रत के बहाने,
छोड़ दे, निज़ात पा, मुझे दरकिनार कर।
नाउम्मीद न मुझे बस परवरदिगार कर।
हमेशा ये दरख़्त ऐसा ही बेनूर ना होगा,
बदलेगा "शफ़क़" मौसम ज़रा इंतज़ार कर।
नाउम्मीद न मुझे बस परवरदिगार कर
2 comments:
Subhaanallah. ... perwerdigaar ne arz sun li.... beautiful. ..
Thank you Shivani...
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