बाद ए फुरक़त भी मरसीम इतना निभाये हम,
एक दुसरे को याद करे, याद आये हम।
इतनी तो कम से कम अना रिश्ते में बची हो,
कभी रूबरू हो जाए तो सर ना झुकाए हम।
एक दुसरे को याद करे, याद आये हम।
ये दुरिया इतनी सी कशमकश पे आयी है,
वो खुद ही नहीं जायेगा या फिर रुकाये हम?
एक दुसरे को याद करे, याद आये हम।
पत्थर की मुरती में रब ऐसे इजात होगा,
दिल भी शरीक़ हो जब सर को झुकाए हम।
एक दुसरे को याद करे, याद आये हम।
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