Monday, 29 October 2012

उस शब् का चाँद....

अब भी याद आता है उस शब् का चाँद,
कितना फीका फीका है ना अब का चाँद.

हैरा है सब मेरे इश्क की शिद्दत से,
मेरे चाँद सा कहा है आखिर सबका चाँद.
कितना फीका फीका है ना अब का चाँद.

मेरी यादो को रोशन अक्सर करता है.
तेरे माथे का, आँखों का और लब का चाँद.
कितना फीका फीका है ना अब का चाँद.

रोशनी भर बाकी है 'शफक' तसव्वुर में,
गौर से देखो डूब गया है कबका चाँद.
कितना फीका फीका है ना अब का चाँद.