शाम ढल नहीं पायी
मेरी यादो की कफस से निकल नहीं पायी,
बरसों हुए पर वो शाम ढल नहीं पायी.
अपने हाथो से क़त्ल किये है तेरे निशां,
पुरजो का साथ मगर नज़्म जल नहीं पायी.
बरसों हुए पर वो शाम ढल नहीं पायी.
वक़्त के साथ चलती रही हो, अच्छा है,
क्या हुआ जो मेरे साथ चल नहीं पायी.
बरसों हुए पर वो शाम ढल नहीं पायी.
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Saturday, 30 July 2011
Sunday, 24 July 2011
दोहे
जो छुटा वो पास रहा, जो हासिल था वो दूर.
उसको वो मंजूर था, जो मुझको नामंजूर.
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हुआ प्रदुषण सोच में, गयी आँखों में धुल,
देहाती से हो बैठी शहर परख में भूल.
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भिन्न भिन्न रिश्ते सभी, एक है सबका सार.
पहले जितना प्यार था, अब उतना अधिकार.
जो छुटा वो पास रहा, जो हासिल था वो दूर.
उसको वो मंजूर था, जो मुझको नामंजूर.
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हुआ प्रदुषण सोच में, गयी आँखों में धुल,
देहाती से हो बैठी शहर परख में भूल.
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भिन्न भिन्न रिश्ते सभी, एक है सबका सार.
पहले जितना प्यार था, अब उतना अधिकार.
Thursday, 7 July 2011
तेरी यादो के छींटे है
रुखी सुखी जहन की मिटटी, कुछ तेरी यादो के छींटे है,
तीखे तजुर्बे है कुछ रखे, कुछ तेरे तसव्वुर मीठे है.
रूबरू हमसे तब करना, हम गहरी नींद में सोये हो,
मुझको यक़ीनन माफ़ करेंगे, लोग जो हमसे रूठे है.
तीखे तजुर्बे है कुछ रखे, कुछ तेरे तसव्वुर मीठे है.
तौफे के तुकडे तो समेटे, साथ भी ले जाओगे तुम,
बिखरे है अब तक कमरे में, कल रात जो रिश्ते टूटे है.
तीखे तजुर्बे है कुछ रखे, कुछ तेरे तसव्वुर मीठे है.
नादानी में लुट जाये तो, गलतफहमिया मत रखना,
हमने भी पतंगे काटी है, हमने भी मांजे लूटे है.
तीखे तजुर्बे है कुछ रखे, कुछ तेरे तसव्वुर मीठे है.
सब कहते है पहले वाली, बात 'शफक' अब नहीं आती,
पहले झूट लिखा करते थे, या अब सच में झूटे है.
तीखे तजुर्बे है कुछ रखे, कुछ तेरे तसव्वुर मीठे है.
रुखी सुखी जहन की मिटटी, कुछ तेरी यादो के छींटे है,
तीखे तजुर्बे है कुछ रखे, कुछ तेरे तसव्वुर मीठे है.
रूबरू हमसे तब करना, हम गहरी नींद में सोये हो,
मुझको यक़ीनन माफ़ करेंगे, लोग जो हमसे रूठे है.
तीखे तजुर्बे है कुछ रखे, कुछ तेरे तसव्वुर मीठे है.
तौफे के तुकडे तो समेटे, साथ भी ले जाओगे तुम,
बिखरे है अब तक कमरे में, कल रात जो रिश्ते टूटे है.
तीखे तजुर्बे है कुछ रखे, कुछ तेरे तसव्वुर मीठे है.
नादानी में लुट जाये तो, गलतफहमिया मत रखना,
हमने भी पतंगे काटी है, हमने भी मांजे लूटे है.
तीखे तजुर्बे है कुछ रखे, कुछ तेरे तसव्वुर मीठे है.
सब कहते है पहले वाली, बात 'शफक' अब नहीं आती,
पहले झूट लिखा करते थे, या अब सच में झूटे है.
तीखे तजुर्बे है कुछ रखे, कुछ तेरे तसव्वुर मीठे है.
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