जरुरी तो नहीं
मंजर जो कल था वो अब हो, जरुरी तो नहीं,
मेरे लहजे में वो अदब हो, जरुरी तो नहीं.
तुझमे सलीका है, नजाकत है, वफादारी है,
पर तुम्हारे जैसे ही सब हो, जरुरी तो नहीं.
मेरे लहजे में वो अदब हो, जरुरी तो नहीं.
इसी पत्थर का निशाँ है मेरे पेशानी पे,
हर एक संग में रब हो, जरुरी तो नहीं.
मेरे लहजे में वो अदब हो, जरुरी तो नहीं.
वो पूछते है क्यों देखते हो, मुस्कुराते हो,
हर एक बात का मतलब हो, जरुरी तो नहीं.
मेरे लहजे में वो अदब हो, जरुरी तो नहीं.
लोग कहते है 'शफक' इश्क ने ये हाल किया,
वो एक ही सबब हो, जरुरी तो नहीं.
मेरे लहजे में वो अदब हो, जरुरी तो नहीं.
ख़ामोशी ने भी बढ़ायी है दुरिया यु तो
गुनाहगार बस लब हो, जरुरी तो नहीं.
मेरे लहजे में वो अदब हो, जरुरी तो नहीं.