मंजर
मंजर ऐसे भी आये है जिन्दगी के सफ़र में,
हम खुद ही नागवार हुए अपनी नजर में.
तुझीसे छुपाऊ, सब तुझीको बताऊ,
कौन है तेरे अलावा मेरा पुरे शहर में.
हम खुद ही नागवार हुए अपनी नजर में.
रिश्ते फना होते है, निशाँ इश्क के नहीं,
तेरा जीकर अब भी आता है मेरे जीकर में.
हम खुद ही नागवार हुए अपनी नजर में.
Continue......
Tuesday, 11 January 2011
Wednesday, 5 January 2011
एक खरोच आई थी
एक खरोच आई थी उस रिश्ते के सीने पे,
कई दिनों तक कुरेदते रहे वो दोनों,
उसका इलाज भी नहीं किया किसीने,
यु तो कहने को वो रिश्ता उनकी औलाद से कम न था,
पता नहीं ऐसा क्या हुआ की उसकी जख्म को अनदेखा किया,
बड़ी बेरुखी से पेश आते थे वो दोनों उससे,
उसकी चीखता, चिल्लाता, रोता रहता रात रातभर
कोई नहीं था पर चुप करने को, समझाने को.
उसका जख्म धीरे धीरे तासुर बन गया,
तकलीफ उस हद तक पहुच गयी की उसने अपनी साँसे रोक ली,
सुना है कल रात मौत हो गयी उस रिश्ते की,
बहोत देर तक रोते रहे वो दोनों, बहोत कोशिश की उसे जगाने की,
बहोत मनाया उसे, बहोत सहलाया उसके जख्म को,
दवा, दुआ दोनों बेअसर थी मगर,
वो रिश्ता नहीं जागा उस नींद से,
दम तोड़ दिया था उसने, आँखे बंद कर ली थी,
कोई वजह नहीं थी उसके पास शायद जीने की.
अब वो दोनों के पास कुछ भी नहीं बचा है.
अब वो दोनों अकेले रहते है,
जिन्दा है अब भी पर जी नहीं पाते.
वो रिश्ता एक जिंदगी था, जिसे वो दोनों जिते थे.
अब उस रिश्ते की कुछ तस्वीरे है दोनों के पास,
कुछ यादे है, कुछ किस्से है.
साँसों का बोझ बहोत भारी होता है,
पता नहीं कितने दिनों तक ढो पाएंगे अकेले.
एक खरोच आई थी उस रिश्ते के सीने पे.
Monday, 3 January 2011
किरदार निभाऊ
हर रिश्ते की बारीकी हर बार निभाऊ,
मै शख्स एक हु, कैसे इतने किरदार निभाऊ.
वो मुलाकात भर रहते बस खफा खफा,
उम्मीद की मै हसते हसते उनका इंतज़ार निभाऊ
मै शख्स एक हु, कैसे इतने किरदार निभाऊ.
जो बाते वो न सुन पाती, गजलो में लिखी,
अब वो कहती है मै अपने अशआर निभाऊ.
मै शख्स एक हु, कैसे इतने किरदार निभाऊ.
'शफक' जरुरी है कोई एक बात करे,
रिश्ते की तहजीब रखु या प्यार निभाऊ.
मै शख्स एक हु, कैसे इतने किरदार निभाऊ.
हर रिश्ते की बारीकी हर बार निभाऊ,
मै शख्स एक हु, कैसे इतने किरदार निभाऊ.
वो मुलाकात भर रहते बस खफा खफा,
उम्मीद की मै हसते हसते उनका इंतज़ार निभाऊ
मै शख्स एक हु, कैसे इतने किरदार निभाऊ.
जो बाते वो न सुन पाती, गजलो में लिखी,
अब वो कहती है मै अपने अशआर निभाऊ.
मै शख्स एक हु, कैसे इतने किरदार निभाऊ.
'शफक' जरुरी है कोई एक बात करे,
रिश्ते की तहजीब रखु या प्यार निभाऊ.
मै शख्स एक हु, कैसे इतने किरदार निभाऊ.
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