Monday, 29 November 2010

मेरा इश्क

हर बात आजमाई गयी है बड़ी गौर से,
मेरा इश्क गुजरा है कुछ ऐसे भी दौर से.

बड़ी खोकली है बुनियाद -ए- ऐतबार क्या करे,
मेरे लफ्ज तक जांचे गए है किसी और से.
मेरा इश्क गुजरा है कुछ ऐसे भी दौर से.

इश्क की बात है, नाजुक है, नजाकत जरुरी है,
ये मसले भी कभी हल हुए है बहस औ शोर से.
मेरा इश्क गुजरा है कुछ ऐसे भी दौर से.

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Saturday, 20 November 2010

ये कैसी तबीयत दी

ये कैसा दिल दिया खुदा, ये कैसी तबीयत दी,
क्यों मासूम सा एक दिल दिया क्यों साफ़ नीयत दी.


वो दोस्त भी अब शुमार है कुछ मेरे अपनों में,
हौसला माँगा जो मैंने, उसने नसीहत दी.
क्यों मासूम सा एक दिल दिया क्यों साफ़ नीयत दी.

दुवाये तहे दिल की और तजुर्बा उम्र का,
बेहतर होगा जो वालिद ने ऐसी वसीहत दी.
क्यों मासूम सा एक दिल दिया क्यों साफ़ नीयत दी.

इंसानों से जुडा है जरा संभलकर रहो 'शफक',
चौखट को लांघने से पहले माँ ने हिदायत दी.
क्यों मासूम सा एक दिल दिया क्यों साफ़ नीयत दी.