Wednesday, 8 May 2024

कुछ भी नही।

बाक़ी ऐन–ए–हयात में, कुछ भी नही।
जाएगा अपने साथ में, कुछ भी नही।

ऐसे तो मैं ही मैं हूं कर्ता ओ कर्म, कारण,
वैसे हमारे हाथ में, कुछ भी नही।
जाएगा अपने साथ में, कुछ भी नही।

मोहब्बत, मोहब्बत, मोहब्बत के अलावा,
जरूरी तालुकात में, कुछ भी नही।
जाएगा अपने साथ में, कुछ भी नही।
 
सोचूं, तो कायनात की हर चीज है मुझमें,
देखू, मैं कायनात में, कुछ भी नही।
जाएगा अपने साथ में, कुछ भी नही।

Sunday, 5 May 2024

तब गज़ल बनी।

जो कहना था, न कह सका, तब गज़ल बनी।
मैं जब भी, मैं न रह सका, तब गज़ल बनी।

मुश्किल से कोई दर्द पककर आंसू तो बना,
और फिर न बह सका, तब गज़ल बनी।
मैं जब भी मैं न रह सका, तब गज़ल बनी।

सह लिया, जो पी गया, वो हिस्सा बना मेरा,
थोड़ा जो न सह सका, तब गज़ल बनी।
मैं जब भी मैं न रह सका, तब गज़ल बनी।

किस्से कहानी बन गए टूटे हुए सब ख्वाब,
वो ख्वाब, जो न ढह सका, तब गज़ल बनी।
मैं जब भी मैं न रह सका, तब गज़ल बनी।

हो सकता है।

मीठा पानी, और समंदर? हो सकता है।
कोई झरना गहरा अंदर, हो सकता है।

वो मेरी हर बात पे हामी भरता है,
प्रेम, समर्पण, निष्ठा या डर हो सकता है।
कोई झरना गहरा अंदर, हो सकता है।

ऐसे देखो मुश्किल, दुष्कर, और कठिन,
वैसे ये एक अदभुत अवसर हो सकता है।
कोई झरना गहरा अंदर, हो सकता है।

मेरे हाल पे हसनेवालो, याद रहे,
वक्त बुरा है और ये बेहतर हो सकता है।
कोई झरना गहरा अंदर, हो सकता है।

पहले खुदमे अर्जुन वाली बात तो ला,
तेरा सहायक भी युगंधर हो सकता है।
कोई झरना गहरा अंदर, हो सकता है।