Saturday, 14 July 2018

मेरा खामोश रहना भी।

तुम्हे नाराज कर देगा मेरा खुलकर के कहना भी।
तुम्हे पर नापसंद भी है मेरा खामोश रहना भी।

मैं गोया पैरहन सा हु हबीबो और अज़ीज़ों का,
हज़ारो दाग भी देखे, जरुरत थी तो पहना भी।
तुम्हे पर नापसंद भी है मेरा खामोश रहना भी।

कई किरदार मेरे है उसकी अदनी कहानी में,
मैं ही आंसू, मैं तबस्सुम, उदासी हु मैं गहना भी।
तुम्हे पर नापसंद भी है मेरा खामोश रहना भी।

मुमकीन है ये ज़ब्त ए आह यु सैलाब बन जाए,
जरुरी है इन आँखों का कभी बेख़ौफ़ बहना भी।
तुम्हे पर नापसंद भी है मेरा खामोश रहना भी।

वक़्त हर चीज़ के होने, न होने का मुकम्मल है,
तक़दीर ए इमारत में, बुलंदी है, तो ढहना भी।
तुम्हे पर नापसंद भी है मेरा खामोश रहना भी।

Thursday, 12 July 2018

मुझे कुछ और होना था

कभी खामोश होता था, अब तो शोर हो गया हूं।
मुझे कुछ और होना था, मगर कुछ और हो गया हूं।

वक़्त के साथ हुस्न ए चाँद का घटना भी है लाज़िम,
किसी की ज़िन्दगी था तब उसीका दौर हो गया हूं।
मुझे कुछ और होना था, मगर कुछ और हो गया हूं।

ना जाने कौन कब किस और खींचे, तोड़ ही डाले,
रिश्तो के दरमियां की मैं नाज़ुक डोर हो गया हूं।
मुझे कुछ और होना था, मगर कुछ और हो गया हूं।

कदम पीछे लिए है दो, ताब औ ताक़त इज़ाफ़ी को,
ग़लतफ़हमी में मत रहना की कमज़ोर हो गया हूं।
मुझे कुछ और होना था, मगर कुछ और हो गया हूं।