जैसा हम सोचते है, क्या वैसे ही हम है?
ये तुम्हारा भरम है, हमारा भरम है.
इश्क़ बेशक है लेकिन जरा ये भी सोचो,
हमारी जरुरत से ज्यादा है, कम है?
ये तुम्हारा भरम है, हमारा भरम है.
इश्क़ में भी मिलावट है कितनी जियादा,
उम्मीदे, तकाज़े, कुछ शर्त औ कसम है.
ये तुम्हारा भरम है, हमारा भरम है.
इश्क़ ऐसा हो, सजदा भी हो, रिँदगी भी,
वही मयखाना और दैर-ओ-हरम है।
ये तुम्हारा भरम है, हमारा भरम है.
ये तुम्हारा भरम है, हमारा भरम है.
इश्क़ बेशक है लेकिन जरा ये भी सोचो,
हमारी जरुरत से ज्यादा है, कम है?
ये तुम्हारा भरम है, हमारा भरम है.
इश्क़ में भी मिलावट है कितनी जियादा,
उम्मीदे, तकाज़े, कुछ शर्त औ कसम है.
ये तुम्हारा भरम है, हमारा भरम है.
इश्क़ ऐसा हो, सजदा भी हो, रिँदगी भी,
वही मयखाना और दैर-ओ-हरम है।
ये तुम्हारा भरम है, हमारा भरम है.