एक और शाम तनहा गुज़र गयी फिरसे,
बीती शामो पे नज़र गयी फिरसे।
चाँद निकला औ मेरे कमरे में,
चांदनी यादे बिखर गयी फिरसे।
बीती शामो पे नज़र गयी फिरसे।
सब जानकार भी नादाँ तन्हाई,
तुझसे मिलने कि ज़िद कर गयी फिरसे।
बीती शामो पे नज़र गयी फिरसे।
लौट आने कि उम्मीद बहोत कम है 'शफक',
ये तबस्सुम अब अगर गयी फिरसे।
बीती शामो पे नज़र गयी फिरसे।