Sunday, 14 July 2013

......तॊ अच्छा है

मुझॆ बस एक तॆरी ही आदत हॊ तॊ अच्छा है,
इश्क मॆ बस सलिखा‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍ ए इबादत हॊ तॊ अच्छा है.

तुझॆ छूनॆ सॆ डरता हु, की तु मैला ना हॊ जायॆ,
सॊचता हु कि लहजॆ मॆ नज़ाकत हॊ तॊ अच्छा है.
इश्क मॆ बस सलिखा‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍ ए इबादत हॊ तॊ अच्छा है.

मॆरा हक़ है, जताउ इश्क मै अपनॆ तरीकॆ सॆ,
मगर उसपर‌ अगर तॆरी इज़ाज़त हॊ तॊ अच्छा है.
इश्क मॆ बस सलिखा‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍ ए इबादत हॊ तॊ अच्छा है.

खुलकर बया करना बडा आसान है लॆकीन,
बडा मसुम रिश्ता है, हिफाज़त हॊ तॊ अच्छा है.
इश्क मॆ बस सलिखा‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍ ए इबादत हॊ तॊ अच्छा है.

'शफक़' सञीदगी तुम पर यकीनन खुब जचती है,
मगर् यॆ इश्क़् है, इसमॆ शरारत हॊ तॊ अच्छा है.
इश्क मॆ बस सलिखा‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍ ए इबादत हॊ तॊ अच्छा है.

Sunday, 7 July 2013

अब जरुरी है

अब जरुरी है हमॆ खुदगर्ज़ हॊना चाहीयॆ,
यॆ मर्ज़ है अगर तॊ यॆ मर्ज़ हॊना चाहीयॆ.

उसनॆ यु लीया कुछ जायजा मा की तबीयत का,
तकल्लुफ सा लग रहा था जॊ फर्ज़ हॊना चाहीयॆ.
यॆ मर्ज़ है अगर तॊ यॆ मर्ज़ हॊना चाहीयॆ.

दौलत ऒ जायदाद बहॊत दॆ दीया अब् तक,
बच्चॊ कॆ हिस्सॆ मॆ पीता का कर्ज़ हॊना चाहीयॆ.
यॆ मर्ज़ है अगर तॊ यॆ मर्ज़ हॊना चाहीयॆ.