तहजीबॊ औ तकल्लुफ कॆ सब वहम टुट गयॆ,
इश्क कॆ बचॆ कुचॆ भरम टुट गयॆ.
रिश्तॆ कॆ टुटनॆ का बडा गम रहा उसॆ,
एक नज़र भी नही दॆखा कीतनॆ हम टुट गयॆ.
इश्क कॆ बचॆ कुचॆ सब भरम टुट गयॆ
इश्क कॆ बचॆ कुचॆ भरम टुट गयॆ.
रिश्तॆ कॆ टुटनॆ का बडा गम रहा उसॆ,
एक नज़र भी नही दॆखा कीतनॆ हम टुट गयॆ.
इश्क कॆ बचॆ कुचॆ सब भरम टुट गयॆ