Jab tere shahar ki sarhad se gujarata hu,
Mai apne dard ki had se gujarata hu.
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mai jab tak dil-o-dimag se zinda rahunga
har saal is tarikh pe sharminda rahunga
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उम्मीद को कल तक की और मोहलत उधार दी है,
आजकी शाम फीर तेरे मुंतजीर गुजार दी है.
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जब तेरे शहर से होकर आता है,
चाँद दामन में क्या क्या लाता है
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सुना आँगन-ओ-दीवार-ओ-दर देखो.
बच्चो के बड़े होने का असर देखो.
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फिर टूटना है, बिखरना है मुझे,
फिर तेरे शहर से गुजरना है मुझे.
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ऐसा नहीं की तेरे बर्ताव पे ऐतराज़ नहीं,
मै नाखुश हु बहोत, हा मगर नाराज़ नहीं.
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Mai apne dard ki had se gujarata hu.
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mai jab tak dil-o-dimag se zinda rahunga
har saal is tarikh pe sharminda rahunga
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उम्मीद को कल तक की और मोहलत उधार दी है,
आजकी शाम फीर तेरे मुंतजीर गुजार दी है.
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जब तेरे शहर से होकर आता है,
चाँद दामन में क्या क्या लाता है
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सुना आँगन-ओ-दीवार-ओ-दर देखो.
बच्चो के बड़े होने का असर देखो.
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फिर टूटना है, बिखरना है मुझे,
फिर तेरे शहर से गुजरना है मुझे.
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ऐसा नहीं की तेरे बर्ताव पे ऐतराज़ नहीं,
मै नाखुश हु बहोत, हा मगर नाराज़ नहीं.
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