तुम ये आँखों से
तुम ये आँखों से क्या क्या बयाँ करते हो,
हामी भरते हो कभी, तो कभी मुकरते हो.
बड़ी शिद्दत से झांकते हो मेरी आँखों में,
नज़र मिलालू अगर मै तो भला डरते हो.
हामी भरते हो कभी, तो कभी मुकरते हो.
आईने रूठ जायेंगे अहतियात करो,
मेरी आँखों में खुदको देखकर सवरते हो
हामी भरते हो कभी, तो कभी मुकरते हो.
कभी आज़ाद करो खुदको भी जुल्फों की तरह,
क्यों यु सहमे हुए बाँहों में बिखरते हो.
हामी भरते हो कभी, तो कभी मुकरते हो.
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आँखों में छुपाकर लायी थी तुम, इश्क जो मुझको देना था,
बस नज़रे उठाकर देखा मुझको , एक पल में सारा लुटा दिया.
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