Random Lines...
मुद्दतो बाद निजात मिली है महफ़िलो से,
मुद्दतो बाद खुदसे लिपटकर रोया हु,
उफ़! तेरा जाना भी मुझे कुछ देकर गया.
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कल रातभर टपकती रही रोशनी चाँद से,
मेरे कमरे के खुश्क अँधेरे से निजात मिली,
ऐसे ही एक चाँद था मेरा, रूह को रोशन करता था.
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कल रातभर धुन्धता रहा गज़लों में,
सारी गज़ले अशआर अशआर कर देखली,
एक लम्हा संभलकर रखा था गज़लों में, हा तुझसे ही बाबस्ता
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बहोत देर तक उस बज़्म की रूमानी में कैद रहा,
अँधेरे कोनो में धुन्ड़ता रहा तेरी गैर मौजूदगी.
किसी और के होने से भी बेहतर है, तेरा ना होना.