ज़िन्दगी मे बाकी अब कोइ ज़ुस्तजु नही ,
सब कुछ तो है बस एक कमी है की तु नही।
दौलत भी है शोहरत भी है नाम-औ-इनाम भी,
तकदीर मेरी और खुदा है मेहरबान भी,
खुशिया तो सब दिल खोलकर के बोल देती है ,
एक गम है मेरा मजबूर भी और बेजुबान भी,
बहोत हसीन दौर है यु तो ये कामयाबी का,
आराम है, एहतराम है लेकिन सुकूं नही।
सब कुछ तो है बस एक कमी है की तु नही।
यु तो बहलाने को दिल चीज़े तमाम है,
पर मसरुफ़ दिन है सारे और उदास शाम है,
है लोग करीबी और अज़ीज़ भी बहोत,
सिर्फ़ तेरी यादों मे पर दिल को आराम है,
पुछने ही आ यु ही तु हाल भी कभी,
सालो से हुइ तुझसे कोइ गुफ़्तगु नही।
सब कुछ तो है बस एक कमी है की तु नही।
गुजंती है उस रात की शहनाइ आज भी,
चूपचाप मैं, खामोश था तेरा मिज़ाज भी,
ऐसे लगा था इश्क की तो मौत हो गयी,
पर दिल के कीसी कोने मे वो ज़िन्दा है आज भी,
इम्तेहां इश्क के भी अजीबो गरीब हैं,
मोहब्बत हो मगर मीलने की हो आरजु नही।
सब कुछ तो है बस एक कमी है की तु नही।
By Ajit R. Pandey